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Saturday, July 19, 2014

राजेन्द्र महतोले उठाउलान यस्तो कडा कदम ?

आज धेरै दिनपछि सद्भावना पार्टीका अध्यक्ष राजेन्द्र महतोले पार्टीको बारेमा बोलेका छन् । उनले पार्टीबाट विगतमा भएको गल्ति कमिकमजोरीलाई आत्मसात गर्दै क्षमा याचना पनि मागेका छन् । शानिवार मधेशी बुद्धिजिवि, पत्रकार, वकिल, प्रध्यापकलगायतसँगको अन्तरक्रियाका कार्यक्रममा आफ्नो पार्टीको स्वयतःपत्र जारी गर्दै सविधानसभाको चुनावपछि चयन भएको समानुपातिक सभासद् चयनमा कतै नकतै त्रुटीभएको स्वीकार्दै त्यसलाई सच्याउने प्रतिवद्धता जनाए । उनले आफ्ना श्रीमती शैल महतोलाई समानुपातिक सभासद् बनाउँदा पार्टीभित्र र बाहिर आलोचना भएको थियो ।
त्यसलाई मनन गर्दै आफ्ना श्रीमतीलाई समानुपातिकबाट फिर्ता बोलाउने तयारीमा रहेको बुझिएको छ । शानिवारकै कार्याक्रममा फिर्ता लिने घोषणा गर्ने उनको प्रवल इच्छा थियो तर पार्टीका केही नेताको साल्लाहका पार्टीको बैठकबाट छलफल गरेर मात्र कदम चाल्ने भनि घोषणा नगरिएको बुझिएको छ ।  त्यस्तै उनले मधेशवादी दल सत्तामा गएर केही पनि नगरेको होइन धेरै काम गरेको छ भन्दै समावेशी विधेयक, नागरिकताको समस्या, आरक्षणलगायतका काम मधेशी दल सत्तामा गएकै कारणले भएको उनले स्वयतपत्रका दावी गरेका छन् ।
कार्यक्रमको अन्त्यमा उनले सघीयतासहितका सविधान निर्माण नभए सविधानसभाबाट राजिनामा दिनुको साथै सविधान निर्माण नहुन्जेल सरकारमा नजाने पनि घोषणा गरे । यद्यपी यी विषयको बारेमा पार्टीका पनि छलफल गर्ने पनि धारणा राखे । कार्यक्रममा विभिन्न वक्ताहरुले आआफ्ना धारणा राखेका थिए र सुझाव पनि दिएका थिए । पूर्व मन्त्री उमाकान्त झादेखि तुलानानरायण साह, दिपेन्द्र झा, विजयकान्त मिश्र, मञ्चला झा, दिगविजय मिश्र, दिगम्बर झा, जय निसान्तलगायतले आआफ्नो धारणा राखेका थिए । सबैको एउटै धारणा थियो कि यो सविधानसभाबाट मधेशीले चाहेको जस्तो सविधान बन्दैन त्यसैले आन्दोलनका लागि तयारी गर्न सुझवा दिए ।

सद्भावना पार्टीका अध्यक्ष राजेन्द्र महतोले जारी गरेका स्वयत्तपत्रका पूर्ण पाठ

सद्भावना पार्टी की भूमिका का सिंहावलोकने !

आदरणीय
मधेशी विद्वान बुद्धिजीवी मित्रगण,

सर्वप्रथम आप सभी का हार्दिक स्वागत तथा अभिनन्दन करते हुए आप की गरिमामय उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त करता हू ।
मित्रों, मधेश की बात चाहे जहाँ से शुरु हो हम उन तमाम शहीदो को स्मरण किए बिना नही रह सकते जिन्होने मधेश के अधिकार की खातिर, अपने पहिचान की खातिर अपने प्राणो की आहुति दी है । इसलिए सर्वप्रथम उन तमाम ज्ञात अज्ञात वीर मधेशी शहीदों के प्रति भावभीनी श्रद्धाञ्जली अर्पित करता हूँ । दुसरे संविधानसभा चुनाव के बाद, बदली राजनीति परिस्थती मे आखिर मधेशी राजनीतिक दलो की भूमिका क्या होनी चाहिए ? मधेश विरोधी सरकार और मधेश विरोधी संविधान सभा के स्वरुप के वीच आखिर मधेश को राजनीतिक, सामाजिक, साँस्कृतिक और आर्थिक अधिकार कैसे मिलेगा? मधेशी राजनीति की भावी रणनीति क्या होनी चाहिए ? इन सभी मुद्दो पर आज हम आप सभी के विचारो का स्वागत करने को आतुर हैं । लेकिन उससे पहले कुछ दिल की बात कहने की इच्छा हो रही है । मेरा यह व्यक्तिगत मानना है कि हम सभी किसी न किसी रुप मे एक ही परिवार के सदस्य है और अपने परिवार के वीच दिल की बात कह कर दिल पर रहे बोझ को उतारना चाहता हूँ ।


मित्रो, पिछले २२ वर्षो की अनवरत राजनीतिक यात्रा के दौरान जीवन के कई उतार चढाव, आरोह–अवरोह को पार करते हुए आज हम यहाँ खडे है । मुझे यह कहने मे जरा भी संकोच नही है कि इस दौरान जाने अनजाने मे, कभी चाह कर कभी मजबुरी मे कुछ गलतियाँ अवश्य हुई होंगी और पार्टी के तरफ से आज तक हुई उन सभी गलतियो के लिए पार्टी अध्यक्ष होने के नाते उन सभी की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए क्षमा प्रार्थी हूँ । एक और बात जिसका उल्लेख किये बिना शायद यह वक्तव्य पुरा नही होगा । इस बार हुए संविधान सभा के निर्वाचन के पश्चात जो समानुपातिक सभासद की चयन की प्रक्रिया हुई उसको लेकर पार्टी के भीतर तथा आम मधेशी जनता तक मे निराशा, हताशा, आक्रोश व अविश्वास का माहौल बना हुआ है । वैसे भी इस प्रक्रिया के कारण सभी मधेशी दलो की यही स्थिती है ।
मित्रो, मुझे यह कहने मे जरा भी संकोच नही है की समानुपातिक सभासद चयन प्रक्रिया मे हमारी पार्टी से त्रुटी हुई है । इसलिए इसको लेकर आजतक जो भी आलोचना हुई उसे सहृदय करते हुए पार्टी अध्यक्ष होने के नाते मै पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं और आप सभी मधेशी बुद्धिजीवी वर्ग को यह बताना चाहताँ हू की इस विषय पर पार्टी के द्वारा सही समय आने पर कठोर निर्णय किया जाएगा ।

मित्रो, आप सभी विद्धतजनो को मधेश का इतिहास बताने की कोई आवश्यकता नही है और ना ही पार्टी के अतित का उल्लेख करने की आवश्यकता है । आप सभी भलीभाँति इस बात को जानते है कि किन विपरीत परिस्थितियो मे सद्भावना पार्टी का गठन हुआ आज हम गर्व के साथ कह सकते है कि श्रद्धेय गजेन्द्र नारायण सिंह के द्वारा दिखाये गए सपनो को साकार करने के लिए उनके पद चिन्हो पर चल रहे हंै । हमे गर्व है की २२ वर्ष पूर्व शुरु हुए नेपाल सद्भावना पार्टी के छिन्नभिन्न होने के बाबजुद बाबा रामजनम तिवारी, स्व.श्यामलाल मिश्र और स्व.रामचन्द्र मिश्र के सपनो को अपना बनाकर उनके बताए रास्तोँ पर चल कर हम अपने आपकोे उनका वारिस बनाने मे सफल रहे हैं ।
मित्रो, यह हमारी नीति और सिद्धान्त तथा हमारे समर्पित कार्यकर्ताओ की ही बदौलत है कि सद्भावना पार्टी आज भी मधेशी मुद्दा और मधेश का पर्याय बना हुआ है । हम इस सच्चाई को नकार नही सकते है कि मधेश के अधिकार के लिए चाहे जितने भी राजनीतिक दल खुल गए हों लेकिन मधेश के मुद्दे का जन्मदाता सद्भावना पार्टी ही है । हमे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि हमारे द्वारा उठाए गए संघियता का मुद्दा आज इस देशका राष्ट्रिय मुद्दा बन गया है । हमने कई और भी मुद्दे उठाए थे जो राष्ट्रिय बहस का मुद्दा तो बना लेकिन उसे राष्ट्रिय आवश्यकता बनाने के लिए हमारा सतत् संघर्ष जारी है । मसलन नागरिकता का अधिकार, सेना का समावेशिकरण, सरकार के प्रत्येक अंग का समावेशिकरण, भाषा, संस्कृति का सम्मानजनक स्थान दिलाना ।


मित्रों, हमने समय समय पर मधेश के विभिन्न मुद्दो के लिए आन्दोलन के कई चरण को पार किया है । सरकार मे रहकर संघर्ष, संसद के भीतर संघर्ष, संविधान सभा मे संघर्ष, सडक पर संघर्ष यानी हमने मुद्दे की जीवन्तता के लिए सरकार से सडक तक और संविधान सभा से संसद तक मे संघर्ष को जारी रखा । इस दौरान हमने अनेक झंझावातँो को भी झेला है । हमने पार्टी विभाजन के दंश को भी झेला है । लेकिन उन सब विपरीत परिस्थिती के बाबजुद जनता का विश्वास कायम रखने मे सफल हुए हैँ ।
हमारे बार–बार सत्ता मे जाने को लेकर अनेक प्रश्न चिन्ह खडा किया जाता है । और यह स्वभाविक भी है । लेकिन आप इस बात को नकार भी नही सकते कि सत्ता मे जाने से मधेश मुद्दे पर कोई काम ही नही हुआ । लाखो मधेशी नागरिको के नागरिकता सम्बन्धी समस्या का समाधान होने की बात को आप नकार नही सकते । आशिंक ही सही, सरकारी नौकरीयो मे आरक्षण की व्यवस्था का लागु होने को नजरअन्दाज नही किया जा सकता है । इसके अलावा अधिकारो की सुनिश्चितता के लिए विकेन्द्रिकरण नीति की घोषणा, सभी मातृभाषाओं मे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, संस्कृति के आधार पर पोशाक को मान्यता, मधेश के विभिन्न पर्व त्योहारो पर राष्ट्रिय अवकाश की घोषणा आदि को उपलब्धीमूलक कहा जा सकता है । लेकिन इन सबका अर्थ यह नही है कि सत्ता मे जाने की दलील दी जा रही है क्योकि सत्ता मे बने रहने का बडा खामियाजा भी हमने भुगता है । आप सभी को मालुम ही है कि नेपालगंज घटना के बाद सत्ता मोह ने सद्भावना पार्टी की विश्वसनीयता को कम कर दी है । यदि उस समय तत्कालीन पार्टी नेतृत्व ने कडा कदम उठाया होता और पार्टी के प्रतिनिधि सत्ता मोह छोडकर जनता के बीच गए होते तो पार्टी की यह दुर्दशा कदापि नही होती । तत्कालिन परिस्थिती मे हुए इस ऐतिहासिक भूल के कारण ही सद्भावना पार्टी एक बडे आन्दोलन का नेतृत्व लेने से चूक गयी ।
मित्रो, वर्तमान परिस्थिती मे हमारा यह स्पष्ट मानना है कि मधेश के तमाम मुद्दो का सम्बोधन सडक संघर्ष से ही हो सकता है । लेकिन आज हमारे सामने सवाल यह है कि क्या हमारा समाज इस संघर्ष के लिए तैयार है ? जवाब मिलेगा हाँ तैयार है । लेकिन उस संघर्ष का नेतृत्व कौन लेगा ? यह सवाल भी हमारे सामने है । मधेश की राजनीति करने के लिए दर्जन भर से अधिक दल संविधान सभा चुनाव मे सहभागी हुए थे । लेकिन जनता ने उनमे से कम ही दलो मे अपना विश्वास जताया । मधेशी राजनीति दलो के अपेक्षाकृत जीत हासिल नही हो पाने के पीछे मधेशी दलो का अलग अलग होना बताया गया है । आज भी आम मधेशी जनता से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग भी यही सोचता है कि मधेशी दलो मे एकिकरण का नही होना हार का सबसे बडा कारण है लेकिन इस एकिकरण के नही होने मे सब से अधिक कौन जिम्मेवार है ? और कौन है जो इस एकिकरण के लिए सबसे अधिक त्याग करने को तैयार है । इसका विश्लेषण होना भी आवश्यक है ।
मित्रो, सद्भावना पार्टी इस एकिकरण के लिए शुरु से सबसे अधिक प्रयास करने वाली पार्टी है और मै पूरी जिम्मेवारी के साथ यह भी कहना चाहता हू कि आज भी मधेशी दलो के बीच एकिकरण के लिए सर्वाधिक त्याग करने को तैयार हैं । लेकिन इस एकिकरण के पीछे का उद्देश्य क्या होना चाहिए ? यह भी समझना होगा । हम यह एकिकरण सिर्फ इसलिए नही कर रहे है कि मधेश मे एक ही पार्टी रहे और वह पार्टी कुछ काम ही नही करे तो वैसे एकिकरण का क्या फायदा ? एकिकरण को मधेश मे एक मजबूत राजनीति शक्ति का निर्माण हो जो मधेश के अधिकार के लिए संघर्ष करने को और हर प्रकार के त्याग करने के लिए तैयार रहे ।
मित्रो, सद्भावना पार्टी ने मधेश के अधिकार के लिए संघर्ष के रास्ते को चुनने का फैसला किया है । चाहे वह एकिकरण के साथ हो या अकेले । हमे पूरा विश्वास है कि हमारे इस संघर्ष मे आप सभी मधेशी विद्वत वर्ग और आम मधेशी जनता का समर्थन, सहयोग और सद्भाव अवश्य मिलेगा । सद्भावना पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते मै आप सभी को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि पार्टी के तरफ से अतीत मे हुइ गलतियो का सुधार कर अपने सांगठनिक क्षमता की अभिवृद्धि करते हुए आगे बढेंगे । पुर्व मे मेची से लेकर पश्चिम में महाकाली तक मे रहे सद्भावना पार्टी के तमाम समर्पित कार्यकर्ताआें को समेटते हुए आने वाले संघर्ष की तैयारी मे जुटेगें ।
मित्रो, हम इतिहास के पन्नो से शिखते हुए अपने हरेक क्रियाकलाप की आत्मसमीक्षा और आत्मालोचना करते हुए युवाओं को साथ लेकर चलने के अपने संकल्प को दोहराते हैं । संविधान सभा से यदि मधेश मुद्दे पर बेइमानी की गई तो संविधान सभा को छोडने से भी हम पीछे नही हटेंगे । मधेश मैत्री संविधान बनने तक, मधेश को अधिकार सम्पन्न बनाने तक, मधेश की पहचान दिलाने तक, मधेश को आर्थिक उन्नत बनाने तक, समृद्ध मधेश का सपना साकार करवाने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा ।

धन्यवाद । जयमातृभूमि ।
राजेन्द्र महतो
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सद्भावना पार्टी

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